इंदिरा गांधी नहर की बदौलत जैसलमेर की मरुधरा तक भी पानी पहुंच रहा है। यहां पहुंच वाकई में इस नहर की महत्ता का अहसास होता है। मगर इंसान के बनाए अजूबों में शुमार इस 650 किलोमीटर लंबी नहर को गढ़ने वालों को आज कोई याद नहीं करता। उन मजदूरों-इंजीनियरों को तो लोग भुला ही चुके हैं जिन्होंने इसके निर्माण के दौरान जान गंवा दी। रेगिस्तान में नहर निर्माण के दौरान कितने ही लोग गर्मी से मर गए, कितने ही लोगों को सांपों ने डसा। जाने कितने लोग उस समय गलती से सीमा पारकर पाकिस्तान पहुंचे और कभी लौट ही नहीं पाए। हमारी नहर की नींव बने इन शहीदों को अब तक की हर सरकार ने भुलाए ही रखा। इन शहीदों के लिए स्मारक तो दूर इनके नाम तक किसी सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हैं।
कोई इंजीनियर नहीं आना चाहता था, तनख्वाह के साथ कपड़े और खाना फ्री देने का भी लालच दिया
इंदिरा गांधी नहर का निर्माण 1958 के आसपास शुरू हुआ था। उस समय यहां विकट हालात देख कोई मां-बाप अपने बेटों को यहां नौकरी नहीं करने देते थे। 1960 में आईजीएनपी के पहले मुख्य अभियंता बलवंत लांबा नहर का नक्शा लेकर दूरदराज के पॉलीटेक्निक कॉलेजों में जाकर भाषण देते थे। छात्रों को नक्शा दिखाते हुए नौकरी का ऑफर देते थे। आकर्षित करने के लिए ऊंट की सवारी, कपड़े और खाना भी फ्री देने की बात कहते थे।
मेरे सामने एईएन को गर्मी से चक्कर आया...कुछ देर बाद ही मौत हो गई
बात जून, 1967 की है। विजयनगर के एईएन कल्लाराम बिरधवाल निरीक्षण कर रहे थे। अचानक बोले कि मेरा सिर चकरा रहा है। वायरलैस से डॉक्टर बुलाया। डाक्टर ने पहुंचते ही एक इंजेक्शन लगाया लेकिन कुछ देर बार उनकी मौत हो गई। इससे श्रमिक और इंजीनियर डर गए थे। मगर तब हौसला था...पानी लाना था।- डीके यादव, 1960 में नहर के चीफ इंजीनियर
मेरे पिता तो पाकिस्तान ही पहुंच गए थे...किस्मत अच्छी थी जो लौट सके
1979 में अनूपगढ़ ब्रांच के निर्माण के वक्त एईएन नानकचंद सिडाना टीम के साथ बॉर्डर पर पहुंचे। तब तारबंदी नहीं थी। सीमा पोल नजर नहीं आया और वे पाकिस्तान में प्रवेश कर गए। पाक सैनिकों ने गिरफ्तार कर लिया। दोनों सेनाओं के अधिकारियों की बातचीत के बाद उन्हें भारतीय सेना को सौंप दिया गया। -अरुण सिडाना, नानकचंद के पुत्र (खुद अधीक्षण अभियंता हैं)
मुझे शहीदों का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला, मगर हम बनाएंगे जल शहीद स्मारक
मुख्य अभियंता इंदिरा गांधी नहर परियोजना विनोद चौधरी ने कहा कि बीकानेर मुख्य अभियंता कार्यालय के सामने पार्क में एक जल शहीद स्मारक बनाएंगे। नहर दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे। हालांकि मैने पहले बहुत केाशिश की लेकिन कोई दस्तावेज या रिकॉर्ड नहीं मिला जहां ऐसे लोगों का नाम शामिल हो।